कजाकिस्तान में एलपीजी (Liquified Petroleum Gas) की बढ़ती कीमतों ने देश में बड़े विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी है. प्रदर्शन इतने बड़े पैमाने पर हो रहे हैं कि बुधवार को देश की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बावजूद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं और पुलिसके साथ संघर्ष लगातार जारी है. कजाकिस्तान के राष्ट्रीय संकट को देखते हुए रूस को अपनी सेना भेजनी पड़ी है.कजाकिस्तान में LPG कार के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. देश की 90 प्रतिशत गाड़ियों में LPG का ही इस्तेमाल किया जाता है. बीते दिनों इसकीकीमतों में 100 प्रतिशत इजाफा हुआ है. पहले जहां एक लीटर LPG की कीमत 50-60 टेंज (10 रुपए के करीब) थी,कजाकिस्तानमेंतेलऔरगैसकीभरमारफिरभीसरकारक्योंबढ़ारहीकीमतें वहीं, अब इसकी कीमत बढ़कर 120 टेंज(20 रुपए से अधिक) हो गई है.LPG की कीमत बढ़ने से महंगाई भी बेतहाशा बढ़ी है जिसे रोकने के लिए सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया. इससे भी लोगों में गुस्सा था.प्रदर्शनों की शुरुआत जानाओजेन शहर में हुई. जल्द ही यह राजधानी नूर-सुल्तान और देश के सबसे बड़े शहर और व्यापारिक राजधानी अल्माटी सहित पूरे देश में फैल गया. प्रदर्शनकारियोंपूछ रहे हैं कि LPG की कीमत बढ़ने के पीछे कारण क्या था और इसका दोषी कौन है?राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव ने बुधवार को प्रधानमंत्री आस्कर मामिन की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. उन्होंने 5 जनवरी से 19 जनवरी तक अल्माटी और मैंगिस्टाऊ राज्यों में आपातकाल की घोषणा की है.एएफपी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यवाहक कैबिनेट सदस्यों से बात करते हुए टोकायव ने उन्हें और राज्य के गवर्नरों को LPG की कीमत को नियंत्रण करनेका आदेश दिया. गैसोलीन, डीजल और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण का भी आदेश दिया गया है.राष्ट्रपति ने सरकारको एक व्यक्तिगत दिवालियापन कानून (Personal Bankruptcy Law) बनाने और गरीबों के लिए मकान के किराए पर सब्सिडी देने पर विचार करने का भी आदेश दिया.कजाकिस्तान पहले सोवियत यूनियनका हिस्सा था और 1991 में अलग देश बना. कजाकिस्तान में तेल और गैस का अकूत भंडार है. यह तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC का एक अहम सदस्य भी है. लेकिनफिर भी इस देश में तेल और गैस की कीमतें बढ़ने की वजह से लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा?दरअसल, सरकार साल 2019 मेंएलपीजी को लेकर एक नई नीति लाई थीजिसे तेल की कीमतें बढ़ने का बड़ा कारण बताया जा रहा है.'Phased Transition To ElectronicTrading For The LPG'सरकार की नई नीति थी जिसे जनवरी 2019 में लागू किया गया था. 2022 के पहले दिन ही इस नीति को समाप्त कर दियागया लेकिन तब तक कीमतें बहुत बढ़ चुकी थीं और सरकार पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा.इसनीति के तहत, घरेलू इस्तेमाल की LPG पर सब्सिडी को खत्म कर दिया गया और कीमतों का नियंत्रण सरकार के बजाए बाजार के हाथों में आ गया. जहां LPG की मांग ज्यादा थी, वहां इसकी कीमतें बढ़ा दी गईं.हालांकि, जब तक कीमतों का नियंत्रण सरकार के हाथ में था, तब तक गैस उत्पादकों को नुकसान हो रहा था, उन्हें लागत भी नहीं मिल पा रही थी. ऐसे में कंपनियोंनेघाटे से बचने के लिए निवेश करना बंद कर दिया. इससे ईंधन की कमी हुई और कीमतें बढ़ गईं.सरकार इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की जोनीति लेकर आई थी, उसका उद्देश्य LPG की कालाबाजारी को भी खत्म करना था. जिन देशों मेंLPG की कीमतें अधिक हैं, कजाकिस्तान से उनको LPG की कालाबाजारी की जाती है. लेकिन इस नीति से भी तेल की बढ़ती कीमतों पर किसी तरह की रोक नहीं लग पाई.हालांकि, लोग इस वजह से ज्यादा परेशानहैंकि ईंधन की बढ़ती कीमतों का असर हर बुनियादी जरूरत पर पड़ेगा और बाकी चीजें भी महंगी हो जाएंगी.जानाओजेन में एक प्रदर्शनकारी ने रेडियो अजैटिक से बात करते हुए कहा, 'अधिकारियों का कहना है कि पर्याप्त गैस नहीं है. वो कह रहे हैं कि 50 साल पहले बनाया गया एक संयंत्र पुराना हो चुका है. मैं पूछना चाहता हूं कि फिर वो पिछले 30 सालों से क्या कर रहे हैं? सोएहुए हैं?'सरकार के ऊर्जा मंत्री मगजुम मिर्जागालिएव ने पहले तो अपनी नई नीति का बचाव किया था लेकिन बाद में प्रदर्शनों को देखते हुएउनके सुर भी बदल गए. उन्होंने कहा है कि ईंधन की कीमतें कम हो जाएंगी.प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए अपने एक बयान में मंत्री ने कहा, 'अगर वो अपने घरों को लौट जाते हैं तो उनके खिलाफ कोईकार्रवाई नहीं की जाएगी. और कार के लिए LPG की कीमतें भी कम हो जाएंगी. मंत्री ने गैस-स्टेशनों पर प्राइस फिक्सिंग का भी आरोप लगाया और कहा कि इसके लिए एक जांच टीम का गठन कर दिया गया है.ऊर्जा मंत्री के इस बयान के बाद गैस-स्टेशनों ने LPG की कीमत 90 टेंज तक कम कर दी लेकिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा कम नहीं हुआ और वो सड़कों पर डटे रहे. सिविल राइट्स एक्टिविस्ट मैक्स बोकायेव की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ने प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़का दिया है.लोग अब LPG की कीमतों को कम करने के साथ-साथ बढ़ती कीमतों को देखते हुए अपनी सैलरी बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं. कजाकिस्तान के लोगों की मासिक न्यूनतम आय 42,500 टेंज (7 हजार 250 रुपए) है.जानाओजेन के मुख्य चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे एर्लान सरगुलोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'या तो वो ईंधन की कीमत 50-60 टेंज प्रति लीटर करें या हमारा वेतन 200, 000 टेंज (34 हजार 109 रुपए) तक बढ़ाएं.'